शीत युद्ध और उसके परिणाम संदर्भ सहित?-Cold War and its results with references in Hindi?

 
 

# शीत युद्ध और उसके परिणाम संदर्भ सहित? शीत युद्ध के परिणाम।cbse क्लास 12th Ist chapter?

विश्व की दो महाशक्तियों अमेरिका और सोवियत संघ के बीच अपने वर्चस्व को दिखलाया और साथ में अपनी – अपनी विचारधारायों को विश्व के सामने बेहतर  साबित करने की होड़ को हम शीत युद्ध के नाम से जानते है।

शीत युद्ध से अभिप्राय ऐसी अवस्था से है। जब दो या दो से अधिक देशों के बीच वातावरण उतेजित व तनावपूर्ण हो किन्तु वास्तविक रूप से कोई युद्ध ना हो।

शीत युद्ध एक ऐसी अवस्था को कहते है जो युद्ध किसी रणभूमि में ना लड़कर मानव के मस्तिष्क में लगा जाता है।

एक ऐसा युद्ध जो मानव के विवेक और बुद्धि से वैचारिक मतभेदों को हराकर जीता जाता हो। अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध को लड़ा गया था।

# शीत युद्ध के परिणाम –

शीत युद्ध की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति से मानी जाती है। काफी दशकों तक चलने वाले शीत युद्ध की समाप्ति 1991 में हुई जिसके निम्नलिखित परिणाम हुए –

1) गुट निरपेक्ष आंदोलन का विकास :-                 

शीत युद्ध का परिणाम गुट निरपेक्ष आंदोलन का विकास था। इसको समाप्त करने में गुट निरपेक्ष आंदोलन ने बढ़ी भूमिका निभाई। इन राष्ट्रों की संख्या लगातार बढ़ती गई। निशस्त्रीकरण, आपसी मनमुटाव को कम करने तथा कोरिया युद्ध विराम जैसे मुद्दों पर इस आंदोलन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

2) पूंजीवाद की तरफ आकर्षण :-         

 शीत युद्ध की समाप्ति के बाद साम्यवाद की स्थिति खराव हो गई थी तथा अधिकतर विकासशील देश पूंजीवाद व्यवस्था की ओर आकर्षित हो रहे थे। पूंजीवाद व्यवस्था को विश्व के अधिकतर देशों ने सही माना। 

3) अमेरिका का वर्चस्व कायम होना :-   

शीत युद्ध की समाप्ति के बाद विश्व में अमेरिका का एकछत्र राज जो गया था। सोवियत संघ के विघटन के बाद संसार में अमेरिका का वर्चस्व कायम हुआ। 1991 में शीत युद्ध के साथ ही अमेरिका का वर्चस्व विश्व पर कायम हो गया था। 

4) नए स्वतंत्र राष्ट्रों का उदय :–                

कही ना कही सोवियत संघ विश्व का सबसे बड़ा क्षेत्रफल होने के कारण अपनी जनता के हित को पूरा ना कर सका जिसके कारण 15 नए स्वतंत्र राष्ट्रों विभाजित हो गया। 1991 में शीत युद्ध की समाप्ति सोवियत संघ के विघटन के कारण हुई तथा संसार में 15 नए स्वतंत्र राष्ट्रों का उदय हुआ जिसमे रूस सबसे बड़ा राष्ट्र है। 

5) निशस्त्रीकरण को बढ़वा :

 विभिन्न परमाणु संधियो द्वारा निशस्त्रीकरण को बढ़वा दिया।  LTBT, CTBT, NNT आदि संधियो द्वारा आणविक विस्फोट को रोकने की कोशिश की गई। इनके द्वारा शस्त्रों की होड़ को रोका गया। शीत युद्ध के चलते परमाणु शक्तियों को अंधाधुन बढ़ाया जा रहा था। दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब शीत युद्ध शुरू हो चुका था ऐसे में अमेरिका और सोवियत संघ अपनी शक्तियों को विश्व के सामने दिखाने के लिए परमाणु , हथियार का बड़ी तदार में बनाने लगे थे। पृथ्वी को और ज्यादा नुकसान ना हो इसलिए कुछ संधियों द्वारा देशों को रोकने का प्रयास किया। 

* LTBT = सीमित परीक्षण प्रतिबंध संधि (The Limited Test Ban Treaty) 

* CTBT= व्यापक परमाणु परीक्षण-प्रतिबंध संधि (The Comprehensive Nuclear-Test-Ban Treaty)

* NPT =परमाणु अप्रसार संधि (Nuclear Non-Proliferation Treaty) 

6) आर्थिक परिणाम :-             

सोवियत नेता जान चुके थे कि संसाधनों का प्रयोग आर्थिक-सामाजिक विकास के लिए जरूरी है। व्यापार संतुलन भी काफी अस्त – व्यस्त हो चुका था। दूसरी तरफ अमेरिका को काफी आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही थी। अतः दोनों एक दूसरे के समीप आने लगे। 

# निष्कर्ष 

 अगर हम शीत युद्ध के परिणामों के निष्कर्ष के बात करें तो पता चलेगा की इतने लंबे समय तक चला शीत युद्ध 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद से विश्व में शीत युद्ध के समाप्ति मानी जाती है। 1991 से विश्व के समक्ष पूंजीवाद व्यवस्था की जीत से अमेरिका का वर्चस्व कायम हो गया। वर्तमान समय में भी अमेरिका ने  विश्व के सामने अपना वर्चस्व को बनाए रखा है।

@Roy Akash (pkj)